मैं दशानन नहीं जी, नयी सदी का शतानन... सहस्त्रानन हूँ... विकासोन्मुखी हूं... हा हा हा ह मैं दशानन नहीं जी, नयी सदी का शतानन... सहस्त्रानन हूँ... विकासोन्मुखी हूं... हा ...
मेरी बेटी की भाँति किसी अनहोनी की शिकार हो सकती हैं।" मेरी बेटी की भाँति किसी अनहोनी की शिकार हो सकती हैं।"
अरे ! कैसा मर्द है रे तू, लानत है तुझ पर अरे ! कैसा मर्द है रे तू, लानत है तुझ पर
आज भी अगर दूर से भी कोई काला मच्छर दिख जाए तो मैं तुरंत रास्ता बदल लेता हूँ। आज भी अगर दूर से भी कोई काला मच्छर दिख जाए तो मैं तुरंत रास्ता बदल लेता हूँ।
लेखक: व्सेवोलोद गार्शिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक: व्सेवोलोद गार्शिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
उन दिनों टीवी पर इसका नया- नया विज्ञापन आना शुरू हुआ था। उन दिनों टीवी पर इसका नया- नया विज्ञापन आना शुरू हुआ था।